यूं तो हर दिन के बाद रात आती है और हर
दिन चतुर्दशी तिथि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की
चतुर्दशी का विशेष महत्व क्योंकि यह रात आम रात नही बल्कि महारात्र
क्योंकि यह देव के देव महादेव की रात है। महादेव की रात होने के कारण इसे
महाशिवरात्रि कहते हैं।
शिव पुराण के अनुसार महादेव के जीवन की कई बड़ी घटनाएं इस रात को हुई हैं और इसका कारण यह है महादेव अपने हर काम को इस रात में करने का निर्णय लिया। इसी रात शिव पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इसे प्रकृति और पुरूष के मिलन की रात भी कहा जाता इसलिए इसे सृष्टि के आरंभ की रात भी कहा जाता है।
कहते हैं कि प्रलय काल में महादेव दिन और रात के संधि काल में प्रदोष वेला में तांडव नृत्य करते हैं और पूरी सृष्टि लंबे समय तक तक के लिए योगनिद्रा में सो जाती है। लेकिन भोलेनाथ का तांडव को एक मात्र रूप है इनके तो अनेक रूप हैं जो समय-समय पर लीलास्वरूप सृष्टि की रक्षा के लिए इन्होंने धारण किया है।
शिव पुराण के अनुसार महादेव के जीवन की कई बड़ी घटनाएं इस रात को हुई हैं और इसका कारण यह है महादेव अपने हर काम को इस रात में करने का निर्णय लिया। इसी रात शिव पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इसे प्रकृति और पुरूष के मिलन की रात भी कहा जाता इसलिए इसे सृष्टि के आरंभ की रात भी कहा जाता है।
कहते हैं कि प्रलय काल में महादेव दिन और रात के संधि काल में प्रदोष वेला में तांडव नृत्य करते हैं और पूरी सृष्टि लंबे समय तक तक के लिए योगनिद्रा में सो जाती है। लेकिन भोलेनाथ का तांडव को एक मात्र रूप है इनके तो अनेक रूप हैं जो समय-समय पर लीलास्वरूप सृष्टि की रक्षा के लिए इन्होंने धारण किया है।
पुराणों में भगवान
शिव को अजन्मा और अविनाशी कहा गया है। इसलिए कहीं भी भगवान शिव के
माता-पिता का जिक्र नहीं मिलता है। लेकिन ऐसा नहीं संसार में जो भी
आया है उसका कहीं न कहीं आदि जरूर है।
विष्णु पुराण में एक कथा है जिससे ज्ञात होता है कि सृष्ट के कर्ता ब्रह्मा जी ने शिव को उत्पन्न किया। लेकिन ब्रह्मा ने जिन शिव को उत्पन्न किया वह शिव नहीं उनका एक स्वरूप है जो रुद्र कहलता है।
इस संदर्भ में कथा है कि ओंमकार रूपरूप शिव ने ब्रह्मा जी से अपने लिए शरीर रचना का आग्रह किया तो ब्रह्मा जी ने एक सुंदर से बालक का निर्माण किया। जन्म लेते ही वह बालक रोना लगा और ब्रह्मा जी से अपना नाम पूछा तो ब्रह्मा जी ने परमेश्वर के उस स्वरूप को अपनी गोद में बैठा लिया और कहा कि जन्म लेते ही आपने रुदन किया है इसलिए आप रूद्र कहलाएंगे। लेकिन बालक ने रोना बंद नहीं किया और ब्रह्मा जी ने बालक को चुप करने के लिए अन्य 7 नाम दिए शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव।
विष्णु पुराण में एक कथा है जिससे ज्ञात होता है कि सृष्ट के कर्ता ब्रह्मा जी ने शिव को उत्पन्न किया। लेकिन ब्रह्मा ने जिन शिव को उत्पन्न किया वह शिव नहीं उनका एक स्वरूप है जो रुद्र कहलता है।
इस संदर्भ में कथा है कि ओंमकार रूपरूप शिव ने ब्रह्मा जी से अपने लिए शरीर रचना का आग्रह किया तो ब्रह्मा जी ने एक सुंदर से बालक का निर्माण किया। जन्म लेते ही वह बालक रोना लगा और ब्रह्मा जी से अपना नाम पूछा तो ब्रह्मा जी ने परमेश्वर के उस स्वरूप को अपनी गोद में बैठा लिया और कहा कि जन्म लेते ही आपने रुदन किया है इसलिए आप रूद्र कहलाएंगे। लेकिन बालक ने रोना बंद नहीं किया और ब्रह्मा जी ने बालक को चुप करने के लिए अन्य 7 नाम दिए शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव।
source:अमर उजाला
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