कालिदास ने पार्वती और परमेश्वर शिव को वाक् और अर्थ की तरह संयुक्त एवं अभिन्न कहा है तथा जगत् के माता-पिता कहकर वन्दना की है। यह शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की ही प्रस्तुति है। गोस्वामी तुलसीदास ने भवानी और शंकर को श्रद्धा और विश्वास का स्वरूप कहा है। एक ओर शिव गहन साधना, तप साधना के देवता हैं तो दूसरी ओर अनूठे दांपत्य प्रेम के, अनुपम प्रणय के, प्रेम, सद्भाव और समाज-कल्याण के।
वे नृत्य-उल्लास, लास्य और लालित्य के, भाषा, शास्त्रों, कलाओं के प्रवर्तक हैं, तो विनाशकारी रुद्र भी हैं, प्रलयंकर शंकर हैं। शिव का तीसरा नेत्र-विवेक-ज्योति के रूप में प्रसिद्ध है। शिव इसी तीसरे नेत्र के, विवेक-ज्योति के कारण ज्ञान के देवता हैं। एलोरा की गुफा में अर्धनारीश्वर की भव्य मूर्ति है। शिव का अर्धनारीश्वर रूप तो भारतीय संस्कृति के सर्वोच्च आदर्श की अभिव्यक्ति है।
पुरुष अर्थ है, तो
नारी वाणी। बिना वाणी के अर्थ प्रकट ही नहीं हो सकता। बिना अर्थ के वाणी की
सार्थकता नहीं। दोनों का मेल ही मनुष्य की समस्त प्रवृत्तियों का आधार है।
पुरातात्विक प्रमाणों से पता लगता है कि शिव पूजा कभी विश्व व्यापी थी।
मध्य एशिया तथा बृहत्तर भारत में अभी भी उसके अवशेष हैं। अठारह पुराणों में
से पांच का शिव के साथ संबंध है। पुराणों में शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों
का वर्णन है, जो सम्पूर्ण भारत में फैले हैं।
शिव का ताण्डव नृत्य रौद्र भी है और सुन्दर भी। यह युगचक्र है, इतिहास-प्रवाह है। नृत्य के पद-चालन में, विभिन्न भंगिमाओं में इतिहास की बहुरंगीय घटनाएँ हैं, जय-पराजय है, किन्तु इन सबके बीच हैं निर्विकार सर्वशक्तिमान, विराट् समाधिमान शिव निर्दोष और निर्लिप्त।
शिव-नटराज के कलात्मक निरूपणों में पदार्थ और ऊर्जा की चक्रीय गति का प्रतीक रहता है। मुद्रा में समाधि की शान्ति और ताण्डव का रौद्र भाव संयुक्त है। शिव के नृत्य में अनूठा लालित्य है, निर्मलता है, गहन प्रशान्त गतिमयता है।
शिव का ताण्डव नृत्य रौद्र भी है और सुन्दर भी। यह युगचक्र है, इतिहास-प्रवाह है। नृत्य के पद-चालन में, विभिन्न भंगिमाओं में इतिहास की बहुरंगीय घटनाएँ हैं, जय-पराजय है, किन्तु इन सबके बीच हैं निर्विकार सर्वशक्तिमान, विराट् समाधिमान शिव निर्दोष और निर्लिप्त।
शिव-नटराज के कलात्मक निरूपणों में पदार्थ और ऊर्जा की चक्रीय गति का प्रतीक रहता है। मुद्रा में समाधि की शान्ति और ताण्डव का रौद्र भाव संयुक्त है। शिव के नृत्य में अनूठा लालित्य है, निर्मलता है, गहन प्रशान्त गतिमयता है।
source:अमर उजाला
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