सवा घंटे के भाषण में हर महत्वपूर्ण मुद्दे से दूर रहे मोदी
गुरुवार
को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देने के लिए खड़े
हुए प्रधानमंत्री मोदी बोले तो खूब बोले, कांग्रेस को उसका इतिहास भूगोल
याद दिलाया तो विपक्षियों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने से भी नहीं चूके।
संसद में विपक्ष के रवैये पर सवाल खड़े किए तो राहुल गांधी को नासमझ तक कह
डाला।
सवा घंटे के भाषण में मोदी खूब बोले लेकिन उन मुद्दों पर नहीं जिन पर पूरे देश में चर्चा गरम है। ऐसे हर मुद्दे पर बोलने से परहेज रखा जिसकी लोग उनसे उम्मीद कर रहा था। उन मुद्दों पर भी नहीं बोले जिस पर संसद में रोजाना हंगामा मच रहा है। आइए डालते हैं उन मुद्दों पर एक निगाह जिन पर बोलने से साफ बच गए मोदी।
सवा घंटे के भाषण में मोदी खूब बोले लेकिन उन मुद्दों पर नहीं जिन पर पूरे देश में चर्चा गरम है। ऐसे हर मुद्दे पर बोलने से परहेज रखा जिसकी लोग उनसे उम्मीद कर रहा था। उन मुद्दों पर भी नहीं बोले जिस पर संसद में रोजाना हंगामा मच रहा है। आइए डालते हैं उन मुद्दों पर एक निगाह जिन पर बोलने से साफ बच गए मोदी।
# जेएनयू मुद्दे पर साधे रखी चुप्पी
देश में इस समय सबसे ज्यादा विवादित मुद्दा जेएनयू का ही है जिस पर सड़क से लेकर संसद तक जमकर हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष जहां इस मुद्दे को लेकर सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन का आरोप लगाकर निशाना साध रहा है तो सरकार ने इस मुद्दे को राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रदोह की शक्ल दे दी है।
संसद में भी इस मुद्दे पर वामदलों और अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साध रखा है। कोई दिन जाता होगा जब संसद की कार्यवाही इस मुद्दे को लेकर बाधित न होती हो, लेकिन मौजूदा सत्र में पहली बार संसद में बोलने आए प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे का जिक्र छेड़ना ही उचित नहीं समझा। घंटे भर के भाषण में जब विपक्ष उम्मीद कर रहा था कि मोदी इस पर भी कुछ बोलेंगे लेकिन उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।
# रोहित वेमूला पर भी नहीं किया कोई जिक्र
जेएनयू के साथ ही हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या पर भी विपक्ष लगातार केन्द्र सरकार पर हमलावर बना हुआ है। खास बात ये है कि इस मुद्दे पर सरकार के दो मंत्री स्मृति ईरानी और बंडारू दतात्रेय पर भी उंगलियां उठ रही हैं। इसी मुद्दे पर सरकार का सबसे पहले पक्ष रखने वाली केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी तो अभी तक भी विपक्ष के निशाने पर हैं।
रोहित की मौत पर गलत तथ्य संसद के सामने रखने का आरोप लगाकर विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में भी है लेकिन मोदी ने इस गंभीर मुद्दे से भी पूरी तरह दूरी बनाए रखी। उम्मीद थी कि वो इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट कर सकते हैं।
# पीपीएफ पर भी नहीं दूर की असमंजसता
आमतौर पर सरकार के जिन निर्णयों को लेकर जनता में असमंजसता की स्थिति रहती है प्रधानमंत्री मोदी उस पर बयान देकर सरकार की स्थिति स्पष्ट करने में देर नहीं लगाते चाहे वह आरक्षण पर संघ प्रमुख के बयान के बाद उपजी स्थिति की बात हो या दादरी कांड में मुस्लिम की हत्या की। लेकिन पीपीएफ और जीपीएफ निकालने पर लगने वाले टैक्स पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। तीन दिन पहले बजट में केन्द्र सरकार द्वारा पीपीएफ निकालने पर टैक्स लगाने की घोषणा के बाद से लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सरकार ने हालांकि इस कदम को वापस लेने की बात भी की लेकिन आम जनता के मन में इसको लेकर अभी भी ऊहापोह की स्थिति है। सरकार भी अभी तक इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर सकी है कि पीपीएफ निकालने पर टैक्स काटा जाएगा या नहीं और अगर काटा जाएगा तो कितना।
# जाट आरक्षण पर भी चुप्पी साध गए
हफ्तेभर
पहले ही जाट आरक्षण की लपटों से झुलसने वाले हरियाणा और उसके पडोसी
राज्यों में हुए नुकसान और जाट आरक्षण से निपटने में हरियाणा सरकार की
नाकामयाबी पर भी प्रधानमंत्री मोदी चुप्पी साध गए। जबकि संसद में वह बयान
देकर देशभर में इसका एक जरूरी संदेश दे सकते थे।
क्योंकि जाट आंदोलन के बाद से हरियाणा में लगातार पक्ष विपक्ष की स्थिति बन चुकी है और जातीय हिंसा की आशंका से लोग अभी भी सहमे हुए हैं। ऐसे में उनका एक बयान आंदोलन करने वाले जाटों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता था और उसकी तपिश में आकर अपना सबकुछ गंवाने वाले पीड़ितों के लिए भी। लेकिन इस संवेदनशील मुद्दे पर भी मोदी ने कुछ नहीं कहा।
हालांकि भारत की नाराजगी को देखते हुए पाकिस्तान इस मामले में कार्रवाई करने का दावा कर रहा है लेकिन भारत का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। आम जनता भी इस बात को लेकर असमंजस में है कि भारत पाकिस्तान से आगे बातचीत जारी रखेगा या आतंक के खात्मे तक बातचीत ठंडे बस्ते में ही रहेगी। किसी को भी अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका है।
क्योंकि जाट आंदोलन के बाद से हरियाणा में लगातार पक्ष विपक्ष की स्थिति बन चुकी है और जातीय हिंसा की आशंका से लोग अभी भी सहमे हुए हैं। ऐसे में उनका एक बयान आंदोलन करने वाले जाटों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता था और उसकी तपिश में आकर अपना सबकुछ गंवाने वाले पीड़ितों के लिए भी। लेकिन इस संवेदनशील मुद्दे पर भी मोदी ने कुछ नहीं कहा।
# पठानकोट हमले के बाद पाक के साथ संबंधों पर भी कुछ नहीं कहा
पठानकोट हमले से पहले पाकिस्तान के साथ भारत की बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ती दिख रही थी, प्रधानमंत्री मोदी भी सबको चौंकाते हुए लाहौर में पाक प्रधानमंत्री से मिलने पहुंच गए थे लेकिन पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बाद बातचीत पटरी से उतर गई।हालांकि भारत की नाराजगी को देखते हुए पाकिस्तान इस मामले में कार्रवाई करने का दावा कर रहा है लेकिन भारत का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। आम जनता भी इस बात को लेकर असमंजस में है कि भारत पाकिस्तान से आगे बातचीत जारी रखेगा या आतंक के खात्मे तक बातचीत ठंडे बस्ते में ही रहेगी। किसी को भी अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका है।
स्रोत :अमर उजाला
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